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My journey in Nepal....
Today is 09 May and due to this Kovid-19 virus, stay at home. You are not only protecting yourself, but also the other members of your house and your neighbors.
Whether it is home or country, the family is main. In every house, small and old, children and young people live, some are straight and some are also crooks-abused. The same happens in the country, all are families.
Stay safe at home.
Today I will share my trip to Nepal with you people in 2019.
Me and some of my friends made a plan to go around Nepal bike, then started rotating the phone to all friends, who is going on. 7 -8 people on the phone said that on Sunday, and when Sunday was to come, only me and a friend of mine took the bike to the main market where everyone was supposed to meet.
But no other friends reached, if the call was made, all the excuse was heard that they would not be able to go. Then the mood of both of us went to the house after packing to tell everyone. Then my friend Aro called some of his other friends. His friends said that the time for 1 hour is two, then both of us started having breakfast at the same tea shop, when we were completely surprised we both reached 4 friends with 2 Royal Enfield Bullets in 45 minutes. And without delay, we left one bike with our acquaintance, and we left 6 people and 3 bikes in which I took Suzuki's Hyatt.
Bike paper was made on the border which is called Bhansar in Nepal.
And the journey started at Baba Prabhu Nath, a historical place in Nepal. After crushing the border, we got all the bike tanks full. One thing is to go by bike in Nepal to a new place can also be dangerous, because every 40 to 50 steps, there is a bend and hill on one side and moat on the other side. Right now we had walked about 100 kilometers, a bullet was punctured, then what was found out, then we had to go back 10 kilometers and on the mountain, the second and third gear of the bike did not seem to be what to do about the fourth, the same bike tools Opening the rear tire from the box and catching a bullet tire while sitting on the bullet is not an easy task, then my bike came back with a puncture made from Suzuki Hayate and the wheel was fastened and now it's night. Was in the circle of the bullet. And we took the room, ate at the hotel and fell asleep early because we had to get up early in the morning. Then morning went and the rain started, now we all could not stop because the Bhansar paper was only valid till 10 o'clock tonight. . The raw road had become so dangerous due to the hilly path and rainy eruption, what should I tell about the lovely location, a friend of ours fell after taking a bullet. Because of Baris, there was only one person on a sub bike who was driving. In this case, a friend of ours fell with a bullet, but only a small blow came, if two people were sitting then they would not have got care then there was a 99 percent chance of going into the ditch. There was nothing like the blessing of God. And we all quickly worshiped and went to return. We had just gone a few kelometers, so the tire of the same bullet again betrayed the puncture. Instantly opened and the bike was run, this time the tube was replaced, which was not getting a new tube at night.
And all of our bikes were talking about the wind. Were riding such a fast bike that the more hilly it is, the better it can be in the sunlight.
Finally at around 09:30 we reached the border and reached our house around 11 pm.
(yourSharad) (if you like my page please share )
yourSharad |
आज 09 मई है और इस कोविड -19 वायरस के कारण घर में ही रहना है। आप सिर्फ खुद को नहीं सुरक्षित रख रहे है ,बल्कि अपने घर के बाकी सदस्यों को और अपने पड़ोसियों को भी सुरक्षित रख रहे है।
घर हो या देश हो बिना परिवार का किसी काम का नहीं है.हर घर में छोटे बड़े बूढ़े -बच्चे -जवान रहते है कुछ सीधे तो कुछ बदमाश -शरारती भी होते है। ऐसे ही देश में भी होते है ,सब परिवार है।
घर में रहे सुरक्षित रहे।
आज मै अपने 2019 में नेपाल की यात्रा आप लोग के साथ शेयर करूँगा।
मै और मेरे कुछ दोस्त प्लान बनाये नेपाल बाइक से घूमने का ,फिर सब दोस्तों को फ़ोन घुमाना चालू की कौन कौन चल रहा है। फ़ोन पर 7 -8 लोग हा कह दिए की रविवार को चलते है और जब रविवार के दिन निकलना था तब सिर्फ मै और मेरा एक दोस्त आरो बाइक लेके मेन मार्केट पहुंच गए जहाँ सब को मिलना था।
पर और कोई दोस्त नहीं पंहुचा ,फोन किया गया तो सब बहाना अपना अपना सुना दिए की नहीं जा पाएंगे। फिर हम दोनों का मूड ख़राब घर पे सब को बता के पैकिंग करके निकले थे। फिर मेरा दोस्त आरो अपने कुछ दूसरे दोस्तों को फ़ोन किया। उसके दोस्तों ने बोला 1 घण्टे का समय दो बताते है फिर हम दोनों वही एक चाय की दुकान पे नास्ता करने लगे तभी बिलकुल आस्चर्य चकित होगये हम दोनों 45 मिनट में 2 रॉयल एनफील्ड बुलेट के साथ 4 दोस्त पहुंच गए। और हमने फटाफट बिना देरी किये एक बाइक वही अपने परिचित के पास छोड़ के निकल दिए हम 6 लोग और 3 बाइक जिसमे मै सुजुकी की हयाते लिया था चल दिए।
बॉर्डर पे बाइक का कागज बनवाया गया जिसको नेपाल में भन्सार कहते है।
और यात्रा शुरू हुए नेपाल के एक दार्शिनक स्थान बाबा प्रभु नाथ की। बॉर्डर क्राश करते ही हमलोगो ने सभी बाइक की टंकी फुल करवाया गया। एक बात तो है नेपाल में बाइक से जाना नई जगह खतरनाक भी हो सकती है ,क्युकी हर 40 से 50 कदम की दुरी पे एक मोड़ और एक तरफ पहाड और दूसरे तरफ खाई होते है.अभी हम लगभग 100 किलोमीटर चले थे की एक बुलेट पंचर हो गई , फिर क्या था पता किया गया तो निचे 10 किलोमीटर वापस जाना था और पहाड़ पे बाइक का दूसरे से तीसरा गेयर नहीं लगता था चौथे की बात ही क्या करना ,वही बाइक के टूल बॉक्स से पिछला टायर खोला गया और बुलेट पे बैठ के किसी बुलेट का टायर पकड़ना आसान काम नहीं है ,फिर मेरी बाइक सुजुकी हयाते से निचे गए पंचर बनवा के वापस आया गया और पहिये को लगाया गया और अब रात हो चकी थी बुलेट के चक्कर में। और हम लोगो ने रूम लिया होटल में खाया गया और सो गए जल्दी क्योकि सुबह जल्दी उठना भी था। फिर सुबह चल दिए और बारिश शुरू हो गई अब हम सभी रुक तो सकते नहीं थे क्योकि भन्सार कागज आज रात में 10 बजे तक के लिए सिर्फ मान्य था. . पहाड़ी रास्ता और बरसात उप्पर से कच्ची रोड इतना खतरना हो गया था वो प्यारा लोकेशन की मै क्या बताऊ हमारा एक मित्र बुलेट ले के गिर गया था। बारिस के वजह से सब बाइक पे एक ही व्यक्ति था जो ड्राइव कर रहा था। इतने में हमारा एक दोस्त बुलेट ले के गिर गया पर सिर्फ हल्की चोटे आई ,अगर दो लोग बैठे होते तब नहीं संभल मिलता तब खाई में जाने के 99 परसेंट चांस था। ईस्वर का आशीर्वाद था ऐसा कुछ नहीं हुवा। और हम सभी फटाफट पूजा किये और वापस होने के लिए चल दिए। अभी हम कुछ ही लिओमीटर चले थे तो उसी बुलेट के टायर ने फिर धोखा दे दिया पंचर हो के। फटाफट खोला गया और बाइक को दौड़ाया गया अबकी बार ट्यूब ही बदल दिया गया जो की रात में नया ट्यूब नहीं मिल रहा था।
और हम सब की बाइक हवा से बाते कर रही थी। इतना तेज बाइक इसलिए चला रहे थे की सूरज की रौशनी में जितना ज्यादा से ज्यादा पहाड़ी रास्ता कबर कर ले उतना अच्छा होता है।
आखिरकार लगभग 09 :30 बजे हम बॉर्डर पहुंच गए और अपने घर पर लगभग 11 बजे पहुंच गए।
(आपका शरद ) धन निरंकार जी।
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