Why do people of Hindu Sanatan Dharma burn the body after death?
Hindu / Sanatana Dharma
People of Hindu Sanatan Dharma live all over the world.
Especially in India, there are people who believe in Hindu Sanatan Dharma.
First of all tell this thing to all of you that what we call Hinduism then its correct name is Sanatan Dharma.
And under this religion, people do many special things before burning the dead body after death, let us tell you what are the things and why they are done.
If any woman or man dies in the house, first of all all the close relatives and friends are informed.
After that a frame made of bamboo wood is made on which the dead body is placed.
Before placing the dead body on this bamboo stick, their close relatives get them bathed.
If it is a woman or a girl, then only the woman or girl wears new clean clothes, saree or suit after bathing the dead body which is closed from all sides.
And if it is a man or a boy, then only a man or a boy can get him bathed in a place surrounded by clothes from all sides and then tied with a clean white cloth which is called a shroud.
Along with doing all this work, some satvik mantras are spoken so that the soul of that person goes to the divine, the soul finds peace and merges in him.
And the bamboo wooden frame which is prepared and when the dead body is placed on it is called Arthi.
In front of the bier, a person walks in an earthen pot carrying some fire and behind the bier and his close people walk, all these people walk by chanting a satvaki mantra and word which is called
Ram Naam Satya Hai Ram Naam Satya Hai
Whichever nearby holy place and river is known as the cremation ground, the dead body is burnt there so that the soul of the dead body can rest in peace.
By the way, the crematoriums in the cities of Varanasi and Ayodhya and Prayagraj are considered very auspicious for burning the dead body.
Even according to science, burning the dead body is considered very correct.
When any harmful disease or virus comes, the most successful way to kill that disease or virus is to burn it.
If any virus or disease spreads rapidly in any religion or sect, then it is right to burn the humans and animals who die from it so that the disease or virus does not spread further.
If any man or woman has been caught by some dangerous disease or virus, then it is right to burn it because if it is buried in the ground, then that dead body will be eaten by earthworms and some insects will eat our fruits and vegetables in some way or the other. ways to reach.
That's why even doctors say, wash and boil vegetables and fruits thoroughly and eat those insects which live outside the earth, then those insects will be eaten by flying birds and dogs and cats, then they will reach us by roaming around. The same virus will go again in a more dangerous form and it will infect all of us.
Like once upon a time there was a plague which spread further from rats.
Some time ago a dangerous disease spread from the hen.
All of us have now come out of Corona, children.
Always stay healthy and stay safe.
thank you all
(Hindi Language:-) हिंदू सनातन धर्म के लोग मरने के बाद शरीर को क्यों जलाते हैं?
हिंदू / सनातन धर्म
विश्व भर में हिंदू सनातन धर्म के लोग रहते है.
विशेष तौर पे भारत में हिंदू सनातन धर्म को मानने वाले रहते हैं।
सबसे पहले यह बात आप सभी को बता दे की जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं तो इसका सही नाम सनातन धर्म है।
और इस धर्म के तहत लोग मृत्यु के बाद मरे हुए शरीर को जलाने से पहले कई विशेष कार्य करते हैं आईये आपको बता ते है क्या क्या कार्य है और क्यो किये जाते हैं।
अगर घर में किसी भी महिला या आदमी की मृत्यु होती हैं तो सबसे पहले जितने भी करीबी रिस्तेदार और दोस्त होते हैं उनको सूचित किया जाता हैं।
उसके बाद बाँस की लकड़ी का एक ढाँचा बनाया जाता हैं जिसपे मृत्यु हुए शरीर को रखा जाता है।
इस बाँस की लकड़ी पे रखने से पहले मृत्यु हुए शरीर को उनके करीबी रिस्तेदार उनको स्नान करवाते हैं।
अगर महिला या लड़की है तो सिर्फ महिला या लड़की ही उसे मृत्यु शरीर को जो चारों तरफ से बन्द हुई जगह पे स्नान करवा के नये साफ कपड़े साड़ी या सूट पहनाती है।
और अगर आदमी या लड़का है तो सिर्फ आदमी या लड़का ही उसे स्नान करवा सकते है चारों तरफ से कपड़ो से घीरी हुई जगह पे और साफ सफेद कपड़ो से फिर बांध दिया जाता है जिसे कफन कहते हैं
यह सब कार्य करने के साथ कुछ सात्विक मंत्रो को बोला जाता है जिससे उस व्यक्ति की उसकी आत्मा परमात्मा के पास जाए आत्मा को शान्ति मिले और उन्ही मे मिल जाय।
और जो बाँस की लकड़ी का ढाँचा तैयार है और जब उसपे मृत्यु शरीर को रखा जाता है तो उसे अर्थी कहा जाता है।
अर्थी के आगे एक व्यक्ति कुछ आग लेके एक मिट्टी के बर्तन में चलता है और पीछे पीछे अर्थी और उनके करीबी लोग चलते हैं यह सब लोग एक सात्वकी मंत्र व शब्द बोलते हुए चलते हैं जिसे कहा जाता हैं
राम नाम सत्य है राम नाम सत्य है
जो भी आस पास का नामी पवित्र स्थान व नदी होती हैं जिसे शमशान कहा जाता हैं वहा पे मृत्यु शरीर को जलाया जाता है जिससे मृत्यु शरीर के आत्मा को शान्ति मिले।
वैसे वारणशी और अयोध्या व प्रयागराज शहर में जो शमशान स्थान है यह मृत्यु शरीर को जलाने के लिए के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है ।
विज्ञान के अनुसार भी मृत्यु शरीर को जलाना बहुत ही सही माना जाता है।
कोई भी खरनाक रोग या virus आने पे उस रोग या virus को खत्म करने के लिए सबसे सफल जलाना ही होता है।
किसी भी धर्म या संप्रदाय में अगर कोई भी virus या रोग तेजी से फैलता है तो उससे मरने वाले इंसानो और जानवरो को जलाना ही सही होता है जिससे वह रोग या virus तेजी से आगे न फैले।
अगर किसी आदमी या महिला को किसी ख़तरनाक बीमारी या virus ने जकड़ लिया है तो उस को जलाना ही सही होता है क्योकि अगर जमीन मे दफन किया जायेगा तो उस मरे हुए शरीर को जमीनी कीड़े खायेंगे और कुछ कीड़े हमारे फल व सब्जियों मे किसी न किसी तरीके से पहुँच जाते है ।
इस लिए डॉक्टर भी कहते हैं अच्छी तरह से धो कर उबाल कर सब्जी व फल को धो के खाये और उन कीडो को किटभचि खायेंगे जो धरती के बाहर रहते हैं फिर उन कीडो को उड़ने वाले पछि और कुत्ते बिल्ली खायेंगे फिर हम तक घूम फिर के पहुँच जायेगा फिर से वो ही virus और अधिक खतरनाक रूप में हो के हम सभी से मिलेगा।
जैसे की एक समय प्लेग फैला था जो चुहे से और बढ़ा।
कुछ समय पहले मुर्गी से एक खतरनाक बीमारी चली थी।
अभी हम सभी कोरोना से बाहर आये है बचके।
हमेसा स्वस्थ रहे व सूरछित रहे।
धन्यवाद आप सभी को
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